मारूबोज़ू
संक्षिप्त विवरण
जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न एक कैंडलस्टिक से बनने वाला पैटर्न है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह पैटर्न एक दिन के ट्रेडिंग एक्शन के आधार पर बनाया जाता है। सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न के आधार पर किया जाने वाला सौदा काफी फायदे का हो सकता है अगर आपने उस पैटर्न को ठीक से पहचाना है और सौदे को ठीक से किया है।
इस तरह के सौदे करने के लिए आपको कैंडल की लंबाई की तरफ ठीक से ध्यान देना होगा। आपको याद होगा कि कैंडलस्टिक की लंबाई उस दिन के दायरे को बताती है, जितना लंबा कैंडल होगा, उस दिन की खरीद-बिक्री उतनी ही ज्यादा होगी। अगर कैंडलस्टिक छोटी है तो ये माना जा सकता है कि उस दिन ट्रेडिंग बहुत कम हुई थी। नीचे के चित्र से आपको लंबे और छोटे– बुलिश और बेयरिश कैंडल के बारे में समझ में आएगा।
हर सौदे को कैंडलस्टिक की लंबाई के पैमाने पर भी नापा जाना चाहिए। बहुत छोटी कैंडल वाले सौदे से बचना चाहिए। इसके बारे में हम आगे विस्तार से समझेंगे जब हम हर पैटर्न को जानेंगे।
मारूबोज़ू (The Marubozu)
मारूबोज़ू वह पहला सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न है जिसके बारे में हमें जानना चाहिए। जापानी भाषा में मारूबोज़ू का मतलब होता है– गंजा। मारूबोज़ू दो तरीके के होते हैं बुलिश मारूबोज़ू और बेयरिश मारूबोज़ू। हम और आगे बढ़े इसके पहले कैंडलस्टिक से जुड़ी अपनी तीनों अवधारणाओं को एक बार फिर से याद कर लेते हैं।
2. पैटर्न में थोड़ी सी फ्लेक्सिबिलिटी (Flexibility) रखें यानी बदलाव की गुंजाइश रहे
3. और पुराने ट्रेंड को देखें
मारूबोज़ू शायद अकेला कैंडलस्टिक पैटर्न है जो नंबर 3 अवधारणा को हमेशा पूरा नहीं करता है। एक मारूबोज़ू पूरे चार्ट में कहीं भी दिखाई पड़ सकता है बिना पिछले ट्रेंड की कोई परवाह किए बगैर। इसके बावजूद इसके आधार पर किए गए सौदे पर कोई अंतर नहीं पड़ता।
परिभाषा के मुताबिक मारूबोज़ू वह कैंडलस्टिक है जिसमें अपर और लोअर शैडो (Upper and Lower Shadow) नहीं होते। इसीलिए इसे मारबोज़ू यानी गंजा कहते हैं। मारूबोज़ू में सिर्फ रियल बॉडी होती है जैसा कि नीचे के चित्र में आप देख सकते हैं, हालांकि यह नियम भी हमेशा सत्य नहीं है कभी-कभी इससे अलग भी होता है।
लाल कैंडल बेयरिश मारूबोज़ू को दिखाता है और नीला कैंडल बुलिश मारूबोज़ू को।
बुलिश मारूबोज़ू (Bullish Marubozu)
बुलिश मारूबोज़ू में अपर और लोअर शैडो ना होने का मतलब होता है- लो बराबर है ओपन के और हाई बराबर है क्लोज के। ओपन = लो और क्लोज = हाई (Open= Low and High = Close) दिखने का मतलब बुलिश मारूबोज़ू।
एक बुलिश मारूबोज़ू बताता है कि बाजार में बहुत ज्यादा खरीदारी हो रही है और बाजार के भागीदार किसी भी कीमत पर उस शेयर को खरीदने के लिए तैयार हैं। इसीलिए शेयर अपने हाई प्वाइंट पर जाकर बंद होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके पहले का ट्रेंड क्या था। इस तरह का एक्शन बताता है बाजार में मूड और माहौल बदल गया है और शेयर अब पूरी तरीके से तेजी में है यानी बुलिश है।
यह माना जाता है कि मूड में इस बदलाव की वजह से अब तेजी रहेगी और यह तेजी का माहौल अगले कुछ समय तक बना रहेगा। इसीलिए एक ट्रेडर को ऐसे में शेयर खरीदने के मौके तलाशने चाहिए। बुलिश मारूबोज़ू में शेयर खरीद की कीमत यानी बाइंग प्राइस (Buying Price) वह होना चाहिए जो मारूबोज़ू में क्लोजिंग प्राइस (Closing Price) है।
ऊपर के चार्ट में (ACC लिमिटेड) जिस कैंडल को घेर कर दिखाया गया है वो बुलिश मारूबोज़ू है। आप को दिख रहा होगा कि बुलिश मारूबोज़ू के कैंडल में ऊपर (अपर/ upper) या नीचे (लोअर/ lower) का कोई शैडो दिखाई नहीं पड़ रहा है। इस कैंडल का OHLC है ओपन = 971.8, हाई = 1030.2, लो = 970.1, क्लोज = 1028.4
कृपया ध्यान दीजिए कि किताब की परिभाषा के मुताबिक ओपन = लो और हाई = क्लोज । लेकिन यहां इस उदाहरण में वास्तविकता थोड़ा अलग है यानी परिभाषा से बदलाव है। हालांकि अगर आप इसे प्रतिशत में देखेंगे तो यह बहुत बड़ा बदलाव नहीं है प्रतिशत में सिर्फ 0.17% का अंतर है। यहीं पर यह दूसरा नियम लागू होता है कि थोड़े से बदलाव के लिए तैयार रहिए और जाँच करिए।
इस मारूबोज़ू से आपको पता चल रहा है कि बाजार में तेजी आ गई है और अब यह शेयर खरीदने का समय आ गया है। इस सौदे के लिए सही कीमत होंगी:
खरीद की कीमत = 1028.4 के पास और स्टॉप लॉस = 970.0
अब तक आपको यह समझ आ गया होगा कि कैंडलेस्टिक पैटर्न आपको कोई टारगेट प्राइस (Target Price) नहीं देता है। लेकिन हम इसके बारे में इस मॉड्यूल में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे।
अब अगर हमने मारूबोज़ू देख कर शेयर खरीदने का फैसला कर लिया है तो शेयर खरीदने का सही समय क्या होगा? यह इस पर निर्भर करेगा कि आपकी रिस्क यानी जोखिम लेने की क्षमता क्या है, बाजार में 2 तरीके के ट्रेडर होते हैं- एक रिस्क लेने वाला एक रिस्क से बचने वाला।
रिस्क लेने वाला ट्रेडर शेयर को उसी दिन खरीदेगा जिस दिन उसे मारूबोज़ू दिखेगा हालांकि उसे निश्चिंत होना होगा कि मारूबोज़ू सही में बना है। वैसे यह जांच करना बहुत आसान है, भारतीय बाजार शाम के 3:30 बजे बंद होते हैं उसे बाजार बंद होने से 10 मिनट पहले यानी 3:20 पर यह देखना होगा कि शेयर की मौजूदा कीमत यानी CMP उस दिन के हाई प्राइस यानी सबसे ऊँची कीमत के और ओपन प्राइस यानी बाजार खुलने के समय की कीमत बराबर है लो प्राइस यानी सबसे नीची कीमत के। अगर यह दोनों शर्तें पूरी हो जाती है तो आपको पता चल जाएगा उस दिन बाजार में मारूबोज़ू बना है और इसलिए आप शेयर खरीद सकते हैं। आपकी खरीद क्लोजिंग प्राइस के आस पास होनी चाहिए। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि रिस्क लेने वाला ट्रेडर भी शेयर तेजी यानी नीले कैंडल वाले दिन खरीद रहा है और वह नियम नंबर 1 का पालन कर रहा है जो कहता है की मजबूती में खरीदो और कमजोरी में बेचो।
रिस्क से बचने वाला ट्रेडर शेयर तब खरीदेगा जब उसे यह तय हो जाएगा कि मारूबोज़ू पिछले दिन बन चुका है लेकिन शेयर खरीदने के पहले उसे यह निश्चित करना होगा कि जब वो खरीद रहा है उस दिन भी तेजी बनी हुई है क्योंकि तभी वह नियम नंबर 1 का पालन कर रहा होगा। इसका मतलब है कि उसे शेयर उस समय खरीदना होगा जब बाजार बंद होने वाला हो। इस तरीके के ट्रेड के लिए एक मुश्किल ये होती है कि खरीद की कीमत हमेशा खरीद की सुझाई गई कीमत से थोड़ी ऊंची होती है। इसीलिए स्टॉप लॉस (Stop loss) भी काफी नीचा होता है लेकिन यह ट्रेडर रिस्क लेने से बच रहा है इसलिए वह पूरी तरह निश्चित हो जाने पर यह सौदा करता है।
ऊपर दिखाए गए ACC के चार्ट के आधार पर सौदा करने पर रिस्क लेने वाले और रिस्क से बचने वाले दोनों तरीके के ट्रेडर को फायदा होगा।
अब एक और उदाहरण के लिए एशियन पेंट्स के चार्ट पर नजर डालते हैं जहां पर रिस्क लेने वाला और इससे बचने वाला ट्रेडर दोनों को फायदा होता है
नीचे के उदाहरण में रिस्क से बचने वाला ट्रेडर मुनाफा बनाएगा।
ऊपर के चार्ट में आपको बुलिश मारूबोज़ू को गोले से घेर कर दिखाया गया है। रिस्क लेने वाला ट्रेडर अपना सौदा उसी दिन बाजार बंद होने के समय के आसपास करेगा। लेकिन इससे अगले दिन उसे नुकसान होगा। उधर, रिस्क से बचने वाला ट्रेडर अगले दिन का इंतजार करेगा और उसे दिखेगा कि अगला दिन लाल कैंडल वाला दिन है यानी मंदी का दिन है और इस तरह वह शेयर खरीदने और नुकसान से बच जाएगा।
आपको याद ही होगा कि हमें नीले कैंडल वाले दिन खरीदना है और लाल कैंडल वाले दिन बेचना है।
बुलिश मारूबोज़ू में स्टॉपलॉस
अगर बाजार में आपके खरीदने के बाद शेयर ने दिशा बदल दी और सौदा उल्टा पड़ गया तो? मैंने पहले ही कहा है कि कैंडलस्टिक पैटर्न में रिस्क से बचने का अपना खुद का मेकैनिज्म (Mechanism) यानी क्रियाविधि होती है। बुलिश मारूबोज़ू में शेयर का लो यानी सबसे नीची कीमत उसके स्टॉपलॉस (stop loss) की तरह काम करता है। अगर आप किसी शेयर को खरीदने का सौदा कर रहे हैं और मार्केट दूसरी तरफ चला जाता है तो आपको अपने शेयर से तब निकल जाना चाहिए जब वह शेयर बुलिश मारूबोज़ू में अपने लो को तोड़ दे यानी सबसे नीची कीमत से नीचे चला जाए।
एक उदाहरण देखते हैं जिसमें एक बुलिश मारूबोज़ू एक खरीदने का सौदा बता रहा है, रिस्क लेने वाले और रिस्क से बचने वाले ट्रेडर दोनों के लिए।
OHLC है: O = 960, H = 988.6, L = 959.85, C = 988.5.
लेकिन मारूबोज़ू पैटर्न यहाँ नहीं बनता और सौदे में घाटा हो जाता है। इस सौदे का स्टॉपलॉस होगा मारूबोज़ू का लो यानी सबसे नीची कीमत 959.85. । वैसे सौदे यानी ट्रेड में कभी-कभी घाटा उठाना शेयर ट्रेडिंग का एक हिस्सा है और बहुत ही ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी भी कभी-कभी घाटा उठाते हैं। लेकिन कैंडलस्टिक के आधार पर सौदा करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि नुकसान यानी घाटा बहुत लंबा नहीं चलता, यह बहुत साफ होता है कि कब आप को अपना सौदा बंद करके निकल जाना है। ऊपर के उदाहरण में दिखाए गए इस सौदे में बाहर निकल जाना ही सबसे बेहतर रास्ता है क्योंकि शेयर लगातार नीचे की ओर जा रहा है। हालांकि ऐसा भी हो सकता है कि आपके स्टॉपलॉस के बाद यानी आपके शेयर से निकल जाने के बाद शेयर अपनी दिशा बदल दे और फिर से ऊपर की तरफ जाने लगे। लेकिन आप इस से बच नहीं सकते क्योंकि ऐसा होना भी बाजार में एक आम बात है। खास बात ये है कि बाजार में कुछ भी हो रहा हो आपको अपने नियमों का पालन करना ही चाहिए और उससे बचने का रास्ता नहीं ढूंढना चाहिए।
बेयरिश मारूबोज़ू (Bearish Marubozu)
बेयरिश मारूबोज़ू का मतलब है कि बाजार में काफी मंदी आ रही है। यहां पर ओपन, हाई के बराबर होता है और क्लोज, लो के बराबर। बेयरिश मारूबोज़ू यह बताता है कि बाजार के लोगों में बेचने का मूड इतना ज्यादा है कि बाजार के भागीदार किसी भी कीमत पर बेच कर निकल जाना चाहते हैं। जिसकी वजह से शेयर अपने सबसे निचली कीमत के आस पास जाकर बंद होता है। ऐसे में कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसके पहले का ट्रेंड क्या था। बेयरिश मारूबोज़ू यह बताता है कि मूड बदल गया है और बाजार मंदी में है। यहां भी उम्मीद की जाती है कि मूड में यह बदलाव अगले कुछ दिन तक चलता रहेगा और शेयर लगातार मंदी में रहेगा। ऐसे में शेयर को शॉर्ट करने के मौके तलाशने चाहिए और शॉर्ट में बेचने वाली कीमत उस दिन के बंद कीमत के आस पास होनी चाहिए।
ऊपर के चार्ट में (BPCL Ltd) गोल घेर कर दिखाया गया कैंडल बताता है कि बेयरिश मारूबोज़ू मौजूद है। इस कैंडल में भी अपर और लोअर शैडो नहीं होते हैं। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि OHLC के आंकड़ों में थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे होना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, बस उसका दायरा कम होना चाहिए यानी बदलाव ज्यादा नहीं होना चाहिए। इस बार इस मारूबोज़ू के आधार पर शेयर (BPCL) का सौदा यानी ट्रेड बेचने का होगा और शॉर्ट करने की कीमत होगी 341.70 रुपये। साथ ही, स्टॉपलॉस होगा उस दिन के कैंडल की सबसे ऊंची कीमत यानी 356 रुपये पर। हालांकि अभी तक हमने टारगेट प्राइस तय करना नहीं सीखा है और हम इसे आगे मॉडल में सीखेंगे पर यह याद रखिए एक बार आपने सौदा कर लिया तो आपको तब तक होल्ड करना है जब तक या तो टारगेट हिट हो जाए या स्टॉपलॉस। अगर आपने इन दोनों में से किसी भी एक के हिट होने के पहले कुछ किया तो हो सकता है कि आपका सौदा उल्टा पड़ जाए। इसलिए यह अनुशासन रखना बहुत जरूरी है।
सौदे आपके रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर किए जाएंगे। रिस्क लेने वाला ट्रेडर सौदा उसी दिन शुरू कर सकता है अगर उसे कैंडल में बेयरिश मारूबोज़ू दिख रहा है। इसके लिए उसे शाम 3:20 के आसपास यह निश्चित करना होगा कि ओपन = हाई और उस समय की कीमत (Current Market Price- CMP) उस दिन के बाजार की सबसे नीची कीमत है। अगर ऐसा दिख रहा है तो इसका मतलब है कि बेयरिश मारूबोज़ू निश्चित है और वह अपने शॉर्ट पोजीशन ले सकता है। अगर ट्रेडर रिस्क से बचना चाहता है तो वो अगले दिन की क्लोजिंग तक इंतजार करेगा। वह अपनी शॉर्ट पोजीशन अगले दिन 3:20 के आसपास बनाएगा जब उसे यह पता चल जाएगा यह दिन भी एक रेड कैंडल दिन है इस तरह से पहले नियम यानी मजबूती में खरीदो और कमजोरी में बेचो का पालन कर पाएगा।
ऊपर के BPCL के चार्ट के आधार पर किए गए सौदे में रिस्क लेने वाले और इससे बचने वाले दोनों तरीके के ट्रेडर को फायदा होगा।
अब एक और चार्ट पर नजर डालते हैं सिप्ला लिमिटेड के चार्ट पर जहां बेयरिश मारूबोज़ू, रिस्क लेने वाले और इससे बचने वाले दोनों तरीके के ट्रेडर के लिए फायदेमंद होगा। यहां याद रखिए कि यह कम समय के लिए जाने वाले शॉर्ट टर्म के ट्रेड हैं और यहां मुनाफा जल्दी से जल्दी निकाल लेना चाहिए।
अब एक ऐसे चार्ट पर नजर डालते हैं जिसमें बेयरिश मारूबोज़ू तो है लेकिन रिस्क लेने वाला ट्रेडर इस सौदे में पैसे नहीं बनाएगा, उधर रिस्क से बचने वाला ट्रेडर तो ये सौदा करने से बच ही जाएगा।
ट्रेड ट्रैप (Trade Trap)
इस अध्याय के शुरू में हमने कैंडल की लंबाई की बात की थी। अगर कैंडल बहुत छोटा हो यानी उसकी रेंज 1% से नीचे है या फिर कैंडल बहुत बड़ा है और उसकी रेंज 10% से ज्यादा है ऐसे में सौदा नहीं करना चाहिए। कैंडल छोटा होने का मतलब होता है कि उस समय बहुत कम सौदे हो रहे होते हैं और ऐसे में ट्रेड का डायरेक्शन यानी दिशा समझ पाना मुश्किल होता है। ऐसे ही, जब कैंडल लंबा होता है इसका मतलब है कि बहुत ज्यादा सौदे हो रहे हैं ऐसे में स्टॉपलॉस लगा पाना बड़ा मुश्किल काम होता है। इस माहौल में आप का स्टॉपलॉस बड़ा होगा और अगर सौदा उल्टा पड़ गया तो आप को काफी नुकसान हो सकता है। इसीलिए बड़े और छोटे कैंडल के समय सौदे ना करना ही बेहतर होता है।
इस अध्याय की खास बातें
कैंडलस्टिक के सही तरीके से काम करने के लिए बनाए गए नियमों को याद रखें। मारूबोज़ू एक अकेला पैटर्न है नियम नंबर 3 को फॉलो नहीं करता यानी पिछले ट्रेंड से उल्टा भी जा सकता है। एक बुलिश मारूबोज़ू तेजी को दिखाता है। मारूबोज़ू के क्लोजिंग प्राइस पर खरीदें। मारूबोज़ू के लो पर स्टॉपलॉस रखें। बेयरिश मारूबोज़ू मंदी को बताता है। मारूबोजू के क्लोजिंग प्राइस के करीब बेचें। मारूबोज़ू के हाई प्राइस पर स्टॉपलॉस रखें। रिस्क लेने को तैयार ट्रेडर उसी दिन ट्रेड ले सकता है जिस दिन उसे मारूबोज़ू बनता दिखे। रिस्क कम लेने वाला ट्रेडर अपना ट्रेड अगले दिन लेता है जब उसे पहला नियम यानी– मजबूती में खरीदो और कमजोरी में बेचो पूरा होते दिख जाए। जब कैंडलस्टिक बहुत छोटा या बड़ा हो तो सौदे नहीं करने चाहिए। छोटे कैंडल का मतलब है कम कारोबार। बड़े कैंडल का मतलब है काफी अधिक कारोबार, स्टॉपलॉस लगाना मुश्किल होता है।
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